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कब्जियत (बद्धकोष्टता) क्या है ?

कब्जियत (बद्धकोष्टता) क्या है ?

Dr. DU Pathakवे भाग्यवान हैं जिनके दिन की शुरुआत उठते ही शौच को भागने से होती है। क्यों कि वैसा न हो तो पूरे दिन चिड़चिड़ाहट होती है।

आयुर्वेद में इसे शौचानंद कहते हैं जो कि उचित भी है।

भारतीय भोजन व जीवन शैली में रोज नही तो कम से कम दो दिन में एक बार निस्तार आवश्यक है।

हमारा शरीर मल मूत्र के माध्यम से सारे विषाक्त तत्व बाहर फेंकते हैं।

कब्जियत एक तासीर होती है। इसे आजीवन ध्यान देना पड़ता है। कब्जियत के दुष्परिणाम फिशर, बवासीर आदि के रूप मे सामने आते हैं।

जाहिर है कि जो लेजर या ऑपरेशन किए जाते हैं, वे उस दुष्परिणाम को सुधारते हैं। इसलिए आपने ऑपरेशन से उसे सुधार लिया तो भी होने का कारण बना रहा तो वह समस्या दोबारा हो जाएगी।

आधुनिक तकनीकों से फर्क ये आया है कि इलाज सुगम व दर्द रहित हो गया है।

ज्यादा अच्छा है कि अपनी जीवन शैली सुधारें, सादा रेशेदार भोजन करें। प्रचुर मात्रा में पानी पिएं। कसरत व योग को अपने जीवन का हिस्सा बना लें। मन भर कर सोएं तथा मानसिक तनाव को कम करें।

Author :- डॉ दिलीप उमाकांत पाठक

(डॉ पाठक, जबलपुर के प्रसिद्ध अनो-रेक्टल सर्जन है। यह देश विदेश में अपनी फिस्टुला तकनीक के लिए जाने जाते हैं। )

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